मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के बदनूर गाँव से निकली यह कहानी सिर्फ खेती नहीं बल्कि हिम्मत और जज़्बे की मिसाल है। राहुल देशमुख कभी सरकारी नौकरी में थे, लेकिन मन हमेशा खेती की ओर खिंचता रहा। परिवार की जिम्मेदारियों के साथ उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जमीन को ही अपनी रोज़ी-रोटी बनाने का फैसला किया। लेकिन हालात आसान नहीं थे, क्योंकि उनके पास कुल 23 एकड़ जमीन थी, जिसमें से सिर्फ 6 एकड़ ही खेती योग्य थी और बाकी जमीन पूरी तरह बंजर थी। ऊपर से पैसों की तंगी और कर्ज का बोझ भी सिर पर था।
शुरुआती दौर और चुनौतियाँ
राहुल ने ठान लिया कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल हों, वे हार नहीं मानेंगे। उन्होंने खेती शुरू करने के लिए ₹13 लाख का कर्ज लिया। शुरुआत में ही उन्होंने जोखिम उठाते हुए लहसुन और टमाटर की खेती का चुनाव किया। बंजर जमीन और पानी की समस्या के बावजूद उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा। यही मेहनत धीरे-धीरे उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी साबित हुई।
पहली फसल से मिली बड़ी कमाई (Income)
राहुल की मेहनत रंग लाई। 2023 और 2024 में लहसुन की पहली फसल ने उन्हें लगभग ₹1 करोड़ की कमाई (Income) दिलाई और टमाटर से करीब ₹25 लाख मिले। यह रकम उनके लिए उम्मीद की किरण थी। कर्ज चुकाने में आसानी हुई और उनके आत्मविश्वास में भी गजब का इज़ाफा हुआ। राहुल का कहना है कि अगर इंसान मेहनत और ईमानदारी से काम करे तो कोई भी बंजर जमीन सोना उगल सकती है।
खेती में तकनीक का इस्तेमाल
पारंपरिक तरीके से आगे बढ़ने के बजाय राहुल ने खेती में नई तकनीकें अपनाईं। उन्होंने पौध तैयार करने के लिए नर्सरी शुरू की, पॉलीहाउस बनाए और मिट्टी सुधारने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए। कोकोपीट तकनीक का इस्तेमाल कर पौधों को जल्दी और स्वस्थ तैयार किया गया। इससे फसल की गुणवत्ता भी बढ़ी और उत्पादन भी। उनकी नर्सरी से तैयार पौधे अब आसपास के जिलों में भी सप्लाई किए जाते हैं।
कारोबार का विस्तार और रोजगार
धीरे-धीरे राहुल का बिजनेस (Business) बढ़ता गया। खेती और नर्सरी के कामकाज में उन्होंने करीब 45 लोगों को रोजगार दिया। कभी जिस जमीन को लोग बंजर कहकर छोड़ देते थे, वही जमीन अब सैकड़ों परिवारों की आजीविका का सहारा बन गई। राहुल ने अपने कारोबार से यह साबित कर दिया कि यदि दृढ़ निश्चय और सही तकनीक का साथ मिले तो खेती भी करोड़ों का मुनाफा (Profit) दिला सकती है।
सालाना टर्नओवर और नई पहचान
आज राहुल का सालाना टर्नओवर लगभग ₹2 करोड़ पहुँच चुका है। उन्होंने खेती को केवल आजीविका नहीं बल्कि एक सफल उद्यम (Business) बना दिया है। उनका सफर उन किसानों के लिए प्रेरणा है जो बंजर जमीन या पैसों की कमी की वजह से खेती छोड़ने की सोचते हैं।
तुलना तालिका
विषय | शुरुआत के हालात | अब की स्थिति |
---|---|---|
जमीन की स्थिति | 23 एकड़ में से 17 एकड़ बंजर | जमीन सुधरी और पूरी तरह खेती योग्य |
फसलें | लहसुन और टमाटर | नर्सरी, पॉलीहाउस, लहसुन-टमाटर |
निवेश-खर्च | ₹13 लाख का कर्ज | आधुनिक तकनीक और संरचना में निवेश |
आमदनी-मुनाफा | पहली फसल से ₹1.25 करोड़ | सालाना टर्नओवर ₹2 करोड़ |
रोजगार | सीमित मजदूरी पर काम | लगभग 45 लोगों को रोजगार |
राहुल देशमुख की यह कहानी बताती है कि हालात चाहे कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में ठान लिया जाए तो सफलता जरूर मिलती है। उन्होंने साबित किया कि मेहनत और आधुनिक खेती दोनों मिलकर न सिर्फ कर्ज से मुक्ति दिला सकते हैं बल्कि करोड़ों की कमाई (Income) भी करा सकते हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल प्रेरणादायक उद्देश्य से लिखी गई है। खेती या निवेश (Investment) का कोई भी निर्णय लेने से पहले अपनी परिस्थिति और विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।